हमारे साहित्यकार
देवकीनंदन खत्री
देवकीनंदन खत्री (१८.०६.१९६१-०१.०८.१९१३) हिंदी हिंदी लेखन के प्रणेता हैं | उनका प्रथम उपन्यास ‘चंद्रकांता’ १९८९ में प्रकाशित हुआ | चंद्रकांता में दो पहाड़ी रजवाड़ों ‘नौगढ़’ और ‘विजयगढ़’ के संघर्ष के मध्य ऐय्यारों के रोमांचक खेल की कहानी है | उनके लेखन की परंपरा ‘चंद्रकांता संतति’ में भी जारी रहती है जो चंद्रकांता के संतति की कहानी है | इसके बाद ‘भूतनाथ’ का नाम आता है जिसके छह भाग उन्होंने लिखे | भूतनाथ उनका सबसे कमाल का पात्र है | शायद इस पात्र को खड़ा करने के लिए उन्होंने बहुत म्हणत किया होगा | इसके बाकी के २१ भाग दुर्गा प्रसाद खत्री ने लिखे | इस पात्र का जबरदस्त अनुकरण हुआ | उनकी अन्य किताबें हैं:
वीरेंद्रवीर अथवा कटोरा भर खून (१८९५) -अपराध कथा पुस्तक
नौलखा हार (१८९९) -अपराध कथा पुस्तक
काजर की कोठरी (१९०२)- -अपराध कथा पुस्तक
कुसुम कुमारी (१८९४-९८) -रोमांस
गुप्त गोदना (अपूर्ण, १९१३) -ऐतिहासिक
गोपालराम गहमरी
गोपालराम गहमरी (09.12.1865-20.06.1946) हिंदी के प्रथम मौलिक जासूसी उपन्यासकार माने जाते हैं | उन्होंने २०० से अधिक जासूसी और सामाजिक उपन्यास लिखे पर आज अधिकतर उपन्यास उपलब्ध नहीं हैं ||उन्होंने कई मासिक पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया | उन्होंने जासूसी पत्रिका ‘जासूस का प्रकाशन और सम्पादन भी किया | उनके प्रमुख उपन्यास ‘गेरुआ बाबा’, ‘डबल बीवी’, ‘ठनठन गोपाल’, तीन जासूस’,’चक्करदार खून’, ‘बेक़सूर की फांसी’ उनके प्रसिद्द उपन्यास हैं | उन्होंने कई जासूसी कहानियां भी लिखी |
इब्ने सफी
इब्ने सफी (२६.०७.१९२८-२६-०७.१९८०) हिंदी और उर्दू के महान जासूसी उपन्यासकार थे | उनका पहला उपन्यास जो ‘जासूसी दुनिया नामक पत्रिका में मार्च १९५२ में छपा जो विक्टर ह्यूगो के उपन्यास पर आधारित थी | कथानक उधार का था पर मुख्य पात्र इंस्पेक्टर फरीद जो आगे चलकर कर्नल फरीदी हो गया और दूसरा साजिद हमीद जो कैप्टेन हमीद बना उनके अपने थे | कहानी चल पड़ी | इसके बाद वह अगस्त १९५२ में पिता के पास वो पाकिस्तान चले गए | अब जासूसी दुनिया दोनों जगहों से प्रकाशित होने लगी | १९५५ से उनके एक और मकबूल चरित्र का जन्म हुआ जिसे इमरान के नाम से जाना गया | कूल मिलाकर इब्ने सफ़ी ने एक युग को प्रभावित किया | अपने समय के वे लेखन के बेताज बादशाह रहे | उन्होंने ३०० से ज्यादा उपन्यास लिखे |
ओमप्रकाश शर्मा
हिंदी जासूसी उपन्यास लेखन के बेताज बादशाह (२५.१२.१९२४-१४.१०.१९९८ ) को अपने क्षेत्र का सबसे अग्रणी लेखक कहा जाता है |उन्होंने राजेश,जगत,जगन,जयंत ,गोपाली,,चक्रम और फादर विलियम जैसे अप्रतिम पात्रों की रचना की | उनके उपन्यास सभी तबके के लोगों में लोकप्रिय रहा | उन्होंने न केवल जासूसी और रहस्मय बल्कि सामजिक उपन्यासों की रचना की | तात्कालीन मुद्दों पर लिखे गए उनके जासूसी उपन्यास आज भी पसंद किये जाते हैं | उन्होंने कम से कम ४१० उपन्यास लिखे | 'इधर रहमान उधर बेईमान',खून की दस बूँदें, 'अँधेरे के दीप' आदि उपन्यास आज भी पसंद किये जाते हैं |
गुलशन नन्दा
गुलशन नन्दा (१९२९-१६.११.१९८५ ) पोपुलर साहित्य के इकलौते ऐसे सुपर स्टार रहे जिन्हें लेखन के साथ साथ फिल्म स्क्रिप्ट में भी महारत हासिल रही | यह मुकाम पोपुलर साहित्य का कोई भी लेखक हासिल नहीं कर पाया | नीलकंठ,लरजते आंसू,माधवी जैसे उपन्यास सामजिक लेखन में तहलका मचाते रहे तो दूसरी तरह शर्मीली, कटी पतंग, दाग,जुगनू और झील के उस पार फिल्म जगत में अपनी छाप छोरते रहे | वे पाठक की नब्ज पहचानने में सफल रहे | उनकी कहानियाप्रेम,विरह,धोक्ल्हे और पारिवारिक रिश्तों के दरम्यान घुमती थी और पाठकों के साथ-साथ दर्शकों को भी जकड़ी रहती थी |
वेद प्रकाश कम्बोज
वेद प्रकाश कम्बोज ( जन्म ०१.१२.१९३९ ) जासूसी उपन्यासों के बेताज बादशाह हैं जिनका लेखन पिछले ६२ वर्षों से सक्रिय है | विजय,अलफांसे,रघुनाथ,सिंगही जैसे कई अमर चरित्रों की बदौलत इन्होने राजनगर नाम के शहर का एक अनूठा संसार रचा है |२००८ में चन्द्रमहल का खज़ाना प्रकाशित होने के बाद कम्बोज जी गंभीर साहित्य की ओर मुड़ गए | उल्लेखनीय है की यह उपन्यास २०१८ में हार्ड बाउंड में प्रकाशित हुआ था | संभवतः जासूसी विधा के वे पहले लेखक रहे होंगे जिनके इन्साफ का जनाजा, रेलगाड़ी का भूत और चन्द्रमहल का खजाना जैसे थ्रिलर और आर्थर कानन डायल के अनुवादित पुस्तक पिशाच कुत्ता और दहशत की घाटी हार्ड बाउंड में प्रकाशित हुए | यह जासूसी/पोपुलर साहित्य के लिए एक लैंडमार्क कहा जा सकता है | उनका नवीनतम उपन्यास महफ़िल-इ-किस्सेबाजी कुछ महीने पहले प्रकाशित हुआ है |
कुशवाहा कान्त
कुशवाहा कान्त उर्फ़ काँता प्रसाद कुशवाहा (०९.१२.१९१८-२९.०२.१९५२ ) पोपुलर साहित्य के स्वर्णकाल आने के पहले ही इस फानी दुनिया को अलविदा कह चुके थे | पर ३४ वर्ष की आयु में उन्होंने अपने लेखन के द्वारा जो शोहरत हासिल की वह विरले ही लोगों को प्रोप्त होती है | लाल रेखा उनका ऐसा उपन्यास था जिसने एक पीढ़ी को प्रभावित किया | उन्होंने सामाजिक,ऐतिहासिक सभी प्रकार का लेखन किया |उनपर उत्तेजक साहित्य का ठप्पा लिखा जिससे पीछा छुडाने का उन्होंने कभी प्रयत्न नहीं किया | ये अलग बात है कि अभी जिस तरह के उपन्यास लिखे जा रहे हैं उसकी तुलना में उनके उपन्यास रोमांटिक ही कहलायेंगे | आहुति,नीलम,नगीना,जलन,कुमकुम उनके अन्य प्रसिद्द उपन्यास हैं |
सुरेन्द्र मोहन पाठक
करीब पचास वर्षों से सुरेन्द्र मोहन पाठक (जन्म १९.०२.१९४०) का लेखन सक्रिय है |निसंदेह पोपुलर साहित्य के अभी के समय में सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखक हैं | पत्रकार सुनील को लेकर उन्होंने अपना पहला उपन्यास १९६३ में लिखा और उसके बाद कामयाबी की सीढियों को चढ़ते चले गए | सुधीर कोहली,विमल ,जीत सिंह,मनोज माथुर को लेखर उन्होंने अलग-अलग सीरिज की रचना की पर विमल सीरिज उनका सबसे सफल चरित्र रहा | विमल को लेकर उन्होंने ४५ उपन्यास लिखे और इसी सीरिज का ४६ वा उपन्यास गेम ऑफ़ फोर फरवरी में प्रकाशित होने वाला है | इसके अतिरिक्त उन्होंने २६ जोकबूक भी लिखे हैं | उनके अधिकतर उपन्यासों पर इंग्लिश नावेल से प्रभावित होने का इलज़ाम लगा जिसे नकारने का उन्होंने कभी प्रयास नहीं मकिया | पिछले वर्षों में उनकी आत्मकथातीन भागों में प्रकाशित हुई है |
वेद प्रकाश शर्मा
वेद प्रकाश शर्मा (१०.०६.१९५५ -१७.०२.२०१७ )ने जासूसी लेखन में जिन बुलंदियों को छुआ वह बहुत कम लोगों को ही प्राप्त होती है | अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि १९९३ में उनके उपन्यास ‘वर्दी वाला गुंडा’ के प्रथम संस्करण की १५ लाख प्रतियाँ छपी | वे इब्ने सफ़ी और वेद प्रकाश कम्बोज की परंपरा के लेखक थे | उन्होंने शुरूआती उपन्यासों में कम्बोज जी के मुख्य पात्रों विजय, अल्फांसे, रघुनाथ, सिंगही, रैना, माइक, हैरी , धनुषटंकार, गुलफाम,जैकी आदि को अपनाया और कथानक एवं हास्य विनोद भी कम्बोज के अनुरूप ही रखा | पर धीरे-धीरे अपने अद्भुत भाषा शिल्प से गति पकड़ी और अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश रंग लाने लगी | | पर जब उन्होंने रैना और रघुनाथ और पुत्र के रूप में अपने नए पात्र विकास का सृजन किया तो उनके चाहने वाले युवा वर्ग ने उन्हें हाथों-हाथ लिया | हैरी जो पहले से कम्बोज का एक युवा पात्र था को विकास के अल्टर ईगो के रूप में लाया गया |१९८५ में इन्होने ऋतुराज के साथ मिलकर अपना प्रकाशन संस्थान तुलसी पॉकेट बुक्स खोला | यहाँ से उनके करीब ७० उपन्यास प्रकाशित हुए |
परशुराम शर्मा
परशुराम शर्मा (जन्म १२.०९.१९४६) एक अनूठे लेखक है जिन्होंने रहस्य और डर को अपने लेखन से एक नया आयाम दिया है | १९६६ से उम्का लेखन आज तक सक्रिय है | प्रारम्भ में इन्होने इब्ने सफी के चरित्रों विनोद-हमीद को लेकर कई पोपुलर उपन्यास लिखे | धुआं,आग और इन्का श्रंखला हॉरर सीरिज के अप्रतिम उपन्यास है | बाजीगर सीरिज सबसे पोपुलर सीरिज रहा जो आज भी पसंद किया जाता है | जीरोलैंड उनका २०० वाँ उपन्यास था जिसके सारे चरित्र इब्ने सफी की किताबों से लिए गए थे | पिछले वर्ष इनकी आत्मकथा सलाखें प्रकाशित हुई है | इनका नवीनतम उपन्यास 'योद्धा' नीलम जासूस कार्यालय से छापकर आया है | इन्होने कॉमिक्स लेखन में भी अपना योगदान दिया है | अंगारा, नागराज, दारा, मेघदूत, विनाशदूत, भेड़िया, मिस्टर इंडिया, मिस्टर एक्स इत्यादि प्रसिद्ध कॉमिक बुक पात्र हैं।
प्रेम बाजपेयी
गुलशन नंदा के बाद प्रेम बाजपेयी(०१.०१.१९४०-०६.०६.१९९५ ) सामाजिक उपन्यासों के सिरमौर रहे | उनका वास्तविक नाम शिव प्रसाद बाजपयी था | पराया धन,मंगलसूत्र, सगाई अधुरा सुहाग उनके कुछ प्रसिद्द उपन्यास हैं | कहा जाता है कि उन्होंने ३०० से ज्यादा उपन्यास लिखे | उन्होंने लेखन में बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया जिससे अधिक से अधिक पाठक उनसे जुड़ सके | अन्य पोपुलर लेखकों की तरह उनके लेखन को भी हाशिये पर ही स्वीकार किया गया |